हवन अथवा यज्ञ की विधिवत पूजन विधि... Description Of the Puja
हवन अथवा यज्ञ भारतीय हिंदू धर्म परंपरा में शुद्धीकरण का एक कर्मकांड है। कुण्ड में अग्नि के माध्यम से ईश्वर की उपासना करने की प्रक्रिया को यज्ञ कहते हैं। हवि, हव्य अथवा हविष्य वह पदार्थ हैं जिनकी अग्नि में आहुति दी जाती है (जो अग्नि में डाले जाते हैं).हवन कुंड में अग्नि प्रज्वलित करने के पश्चात इस पवित्र अग्नि में फल, शहद, घी, काष्ठ इत्यादि पदार्थों की आहुति प्रमुख होती है। वायु प्रदूषण को कम करने के लिए भारत देश में विद्वान लोग यज्ञ किया करते थे और तब हमारे देश में कई तरह के रोग नहीं होते थे । शुभकामना, स्वास्थ्य एवं समृद्धि इत्यादि के लिए भी हवन किया जाता है। अग्नि किसी भी पदार्थ के गुणों को कई गुना बढ़ा देती है । जैसे अग्नि में अगर मिर्च डाल दी जाए तो उस मिर्च का प्रभाव बढ़ कर कई लोगो को दुख पहुंचाता है उसी प्रकार अग्नि में जब औषधीय गुणों वाली लकड़ियां और शुद्ध गाय का घी डालते हैं तो उसका प्रभाव बढ़ कर लाखों लोगों को सुख पहुंचाता है।
उद्देश्य ..
अग्नि में जो भी वस्तु डाली जाती है, उसे वह अपने पास नहीं रखती, वरन् उसे सूक्ष्म बनाकर वायु को, देवताओं को, बाँट देती है। हमें जो वस्तुएँ ईश्वर की ओर से, संसार की ओर से मिलती हैं, उन्हें केवल उतनी ही मात्रा में ग्रहण करें, जितने से जीवन रूपी अग्नि को ईंधन प्राप्त होता रहे। शेष का परिग्रह, संचय या स्वामित्व का लोभ न करके उसे लोक-हित के लिए ही अर्पित करते रहें।
यज्ञ व हवन का मतलब और विधि - ...
हिंदू मान्यताओं के अनुसार हवन, यज्ञ का ही एक छोटा रूप है। पूजा के बाद अग्नि में दी जाने वाली आहुति को हवन कहा जाता है। वहीं अगर किसी खास उद्देश्य से देवता को दी गई आहुति को यज्ञ कहा जाता है, कहा जाता है कि यज्ञ में देवता, आहुति, वेद मंत्र, ऋत्विक और दक्षिणा काम का होना बहुत ज़रूरी होता है। जबकि हवन कुंड में अग्नि के माध्यम से देवता को हवि (भोजन) पहुंचाने की प्रक्रिया अति आवश्यक माना जाती है, हिंदू धर्म की मानें तो हवन शुद्धिकरण का एक कर्मकांड माना गया है। जबकि यज्ञ किसी खास लक्ष्य जैसे कि मनोकामना पूर्ति और किसी बहुत बड़े अनिष्ट को टालने के लिए किया जाता है, तो हमें उम्मीद है की आप यज्ञ और हवन के मध्य अंतर समझ गए होंगे, क्यूंकि यज्ञ और हवन करने के अपने ही अलग अलग विधि और विधान है बल्कि यह सबसे ज्यादा इस बात पर निर्भर करता है की किस देवता की पूजा व किस उद्द्येश के लिए हवन या यज्ञ किया जा रहा है.
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यज्ञ कर्म एवं हवन वैदिक काल से प्रेरित कर्मकांडीय अनुष्ठान हैं, जो इस देश को प्राचीन ऋषियों की देन हैं यह अपने आप में एक समग्र उपासना विधि है, जो भौतिक संसार के सर्जक और संसार के संचालक महाशक्तियों के अनुनय के लिए रूपायित और विकसित की गई। युगों तक हमारे देश के आराधना संसार, जीवन व्यवहार तथा वायुमंडल को यज्ञ के विधि-विधान और आयोजन सुवासित करते रहे हैं और बाद में वे ही विभिन्न पूजा प्रणालियों, आराधना पद्धतियों, आध्यात्मिक आयोजनों के प्रेरक बने। यज्ञ कर्म अत्यंत सूक्ष्मता से रूपायित, निर्धारित विधि-विधानों, प्रक्रियाओं, मंत्र-मालाओं से व्यवस्थाबद्ध व एक अनुशासित उपासना-आराधना विधि है जिसका एक विस्तृत एवं विशिष्ट दर्शन है। अब यज्ञ कर्म एवं हवन विभिन्न कारणों जैसे इसके दीर्घसूत्रीय व जटिल होने, प्रक्रिया एवं मंत्रों के ज्ञाता पुरोहितों की कमी होने, अनुष्ठान में भौतिक साधनों के व्ययकारी होने आदि के कारण बड़े आयोजनों तक ही सीमित हो गई है, इसीलिए किसी भी प्रकार के यज्ञ व हवन पूजन सम्पूर्ण वैदिक विधियों द्वारा संपन्न करने के लिए आप हमसे संपर्क कर सकते है...!!
Auspicious Day | Puja Time | Venue |
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Depends on Muhurat | Depends on Muhurat | Home, Temple, Office etc. |