व्यापार प्रांरभ पूजन विधि... Description Of the Puja
व्यवसाय को बढ़ाने तथा सुख-समृद्धि के साथ अपना कारोबार बढ़ाने के लिए लक्ष्मी जी और गणेशजी की पूजा विधिपूर्वक अवश्य करनी चाहिए, श्रीगणेश पूजा अपने आपमें बहुत ही महत्वपूर्ण व कल्याणकारी है। चाहे वह किसी कार्य की सफलता के लिए हो या फिर चाहे किसी कामनापूर्ति स्त्री, पुत्र, पौत्र, धन, समृद्धि के लिए या फिर अचानक ही किसी संकट मे पड़े हुए दुखों के निवारण हेतु हो, इनके बिना कोई पूजा शुरू हो ही नहीं सकती, इसी तरह कोई भी नया व्यापार पैसे के लिए ही शुरू किया जाता है और माँ महा लक्ष्मी देवी धन की देवी मानी जाती है, बिना उनके आशीर्वाद और कृपा की धन की प्राप्ति असंभव प्रतीत होती है, इसीलिए कोई भी नया व्यापार शुरू करते समय श्री गणेश व माता महा लक्ष्मी का पूजन करने का विधान है.
उद्देश्य ..
भगवान गणपति ऋद्धि-सिद्धि और सौभाग्य के देवता माने जाते हैं। इसीलिए नया व्यापार शुरू करते समय श्रीगणेश पूजा बेहद कल्याणकारी होती है, इसलिए गणपति की पूजा पूरे विधि-विधान से करनी चाहिए, भगवान गणपति हर तरह की मनोकामना पूरी करते हैं। विघ्नहार्ता अपने भक्तों को सफलता, बुद्धि पुत्ररत्न, धन और समृद्धि सब कुछ देते हैं। इसलिए इनकी पूजा भी उतने ही तनमयता और विधि- विधान के साथ करनी चाहिए।
संक्षेप में पूजा विधि निम्नलिखित है- ...
किसी भी व्यापार की सफलता के लिए शुभ मूहुर्त में व्यापार की शुरुआत करना चाहिए। गणेश पूजन के साथ शुरुआत करें। चांदी की या स्फटिक की श्री गणेश प्रतिमा और चांदी की श्री लक्ष्मी की प्रतिमा स्थापित करें। ध्यान रखें कि गणेश प्रतिमा और लक्ष्मी प्रतिमा अलग-अलग हो। जुड़ी हुई नहीं हो। साफ और स्वच्छ जगह पर लाल कपड़ा बिछाएं। श्री गणेश, लक्ष्मी और सरस्वती की प्रतिमा स्थापित करें। गंध, पुष्प, अक्षत, धूप,दीप से पूजन करें। दूध से बनी मिठाई का भोग भगवान को लगाएं। नारियल अर्पित करें।
अब तिजोरी का पूजन करें। बरकत के लिए चाहिए कि तिजोरी को कभी भी खाली नहीं रखें। व्यापार की शुरुआत में अपनी तरफ से उसमें पैसा डालें। तिजोरी में स्वस्तिक बनाए। शुभ लाभ की स्थापना करें। लाल कपड़ा बिछाकर उस पर धन रखें। स्फटिक के श्री यंत्र को तिजोरी में रखना शुभदायक होता है।
Time And Other Puja Rituals Details Find below Muhurat and Work Place Details
व्यापार की शुरुआत में अपनी सामथ्र्य अनुसार विस्तार से पूजन भी करवाया जा सकता हैं। किसी नए भवन में शुरुआत करने पर वास्तुपूजन, श्री सत्यनारायण की कथा, ब्राह्मण भोजन करवाया जा सकता है। सुंदरकांड का आयोजन किया जाना शुभ होता है, अधिक जानकारी के लिए व अनुभवी पंडित से मार्गदर्शन लेने के लिए आप हमसे संपर्क कर सकते है..!!
Auspicious Day | Puja Time | Venue |
---|---|---|
Depends on Muhurat | Morning Time (Avoid Rahukal) | Work Place or Office |