नामकरण संस्कार – हिंदू धर्म में पंचम संस्कार... Description Of the Naam Karan
हिंदू धर्म में हर जातक के जन्म से लेकर मृत्यु तक सोलह संस्कार किये जाते हैं इन्हीं में से एक नामकरण भी है। चूंकि नाम से ही पहचान जुड़ी होती है, नाम ही है जिसे कमाया जाता है यानि प्रसिद्धि पाई जाती है नाम ही है जो बदनाम होता है। कर्म तो सभी करते हैं अपने-अपने हिस्से के कर्म करते हैं। लेकिन नाम के अनुसार ही कर्मों की पहचान होती है जिनके प्रताप से जातक अच्छे व बुरे रूप में नाम कमाता है। जो कुछ खास नहीं करता वह गुमनाम भी होता है। इसलिये नाम सोच समझकर रखा जाना जरुरी होता है। हिंदूओं में इसे पूरे धार्मिक प्रक्रिया के तहत विधि विधान से रखा जाता है। नाम रखने की इस प्रक्रिया को ही नामकरण संस्कार कहा जाता है।
उद्देश्य ..
नामकरण शिशु जन्म के बाद पहला संस्कार कहा जा सकता है। यों तो जन्म के तुरन्त बाद ही जातकर्म संस्कार का विधान है, किन्तु वर्तमान परिस्थितियों में वह व्यवहार में नहीं दीखता। अपनी पद्धति में उसके तत्त्व को भी नामकरण के साथ समाहित कर लिया गया है। इस संस्कार के माध्यम से शिशु रूप में अवतरित जीवात्मा को कल्याणकारी यज्ञीय वातावरण का लाभ पहुंचाने का सत्प्रयास किया जाता है। जीव के पूर्व संचित संस्कारों में जो हीन हों, उनसे मुक्त कराना, जो श्रेष्ठ हों, उनका आभार मानना-अभीष्ट होता है। नामकरण संस्कार के समय शिशु के अन्दर मौलिक कल्याणकारी प्रवृत्तियों, आकांक्षाओं के स्थापन, जागरण के सूत्रों पर विचार करते हुए उनके अनुरूप वातावरण बनाना चाहिए।
कैसे होता है बच्चे का नामकरण संस्कार- ...
बालक का नाम उसकी पहचान के लिए नहीं रखा जाता, नामकरण संस्कार के बारे में स्मृति संग्रह में लिखा है-नामकरण संस्कार से आयु एवं तेज में वृद्धि होती है। नाम की प्रसिद्धि से व्यक्ति का लौकिक व्यवहार में एक अलग अस्तित्व उभरता है, मनोविज्ञान एवं अक्षर-विज्ञान के जानकारों का मत है कि नाम का प्रभाव व्यक्ति के स्थूल-सूक्ष्म व्यक्तित्व पर गहराई से पड़ता रहता है। नाम सोच-समझकर तो रखा ही जाय, उसके साथ नाम रोशन करने वाले गुणों के विकास के प्रति जागरूक रहा जाय, यह जरूरी है। हिन्दू धर्म में नामकरण संस्कार में इस उद्देश्य का बोध कराने वाले श्रेष्ठ सूत्र समाहित रहते हैं, नामकरण संस्कार संपन्न करने के संबंध में अलग-अलग स्थानों पर समय की विभिन्नताएं सामने आई हैं। जन्म के 10वें दिन सूतिका का शुद्धिकरण यज्ञ कराकर नामकरण संस्कार कराया जाता है, दो तरह के नाम रखने का विधान है। एक गुप्त नाम जिसे सिर्फ जातक के माता पिता जानते हों तथा दूसरा प्रचलित नाम जो लोक व्यवहार में उपयोग में लाया जाये। नाम गुप्त रखने का कारण जातक को मारक , उच्चाटन आदि तांत्रिक क्रियाओं से बचाना है। प्रचलित नाम पर इन सभी क्रियाओं का असर नहीं होता विफल हो जाती हैं, गुप्त नाम बालक के जन्म के समय ग्रहों की खगोलीय स्थिति के अनुसार नक्षत्र राशि का विवेचन कर के रख जाता है। इसे राशि नाम भी कहा जाता है। बालक की ग्रह दशा भविष्य फल आदि इसी नाम से देखे जाते हैं। विवाह के समय जातक जातिकवों के कुंडली का मिलाप भी राशि नाम के अनुसार होता है। सही और सार्थक नामकरण के लिए बालक के जन्म का समय, जनक स्थान, और जन्म तिथि का सही होना अति आवश्यक है।
दूसरा नाम लोक प्रचलित नाम - योग्य ब्राह्मण या ऋषि बालक के गुणों के अनुरुप बालक का नामकरण करते हैं। जैसे राम, लक्षमण, भरत और शत्रुघ्न का गुण और स्वभाव देख कर ही महर्षि वशिष्ठ ने उनका नामकरण किया था। लेकिन आजकल यह लोक प्रचलित नाम सामान्यतः माता पिता नाना नानी के रूचि के अनुसार रख जाता है। इस नाम से बालक के व्यवसाय, व्यवसाय में किसी पुरुष से शत्रुता और मित्रता के ज्ञान के लिए किया जाता है, नामकरण-संस्कार से तेज़ तथा आयु की वृद्धि होती है। लौकिक व्यवहार में नाम की प्रसिद्धि से व्यक्ति का अस्तित्व बनता है, इसके पश्चात् प्रजापति, तिथि, नक्षत्र तथा उनके देवताओं, अग्नि तथा सोम की आहुतियां दी जाती हैं। तत्पश्चात् पिता, बुआ या दादी शिशु के दाहिने कान की ओर उसके नाम का उच्चारण करते हैं। इस संस्कार में बच्चे को शहद चटाकर और प्यार-दुलार के साथ सूर्यदेव के दर्शन कराए जाते हैं।
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नामकरण संस्कार आम तौर पर जन्म के दस दिन बाद किया जाता है। दरअसल जातक के जन्म से सूतक प्रारंभ माना जाता है जिसकी अवधि वर्ण व्यवस्था के अनुसार अलग-अलग होती है। पाराशर स्मृति के अनुसार ब्राह्मण वर्ण में सूतक दस दिन, क्षत्रियों में 12 दिन, वैश्य में 15 दिन तो शूद्र के लिये एक मास का माना गया है। वर्तमान में वर्ण व्यवस्था के अप्रासंगिक होने के कारण इसे सामान्यत: ग्यारहवें दिन किया जाता है। यदि आपको नामकरण संस्कार के लिए किसी योग्य पंडित की जरुरत है तो आप हमसे संपर्क कर सकते है, हमारे पास भारत के प्रसिद्द एक्सपर्ट्स की टीम है जो आपके इस काम को पूरी तरह से कर सकते है..!!
Auspicious Day | Puja Time | Venue |
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Muhurat Based | Morning Time (Avoid Rahukal) | Any Spiritual Place |